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एक मुखी रूद्राक्ष को परब्रह्रा माना जाता है । सत्य , चैतन्य स्वरूप परब्रह्रा का प्रतीक है । एक मुखी रूद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का स्वरूप भी माना गया है- ''एकवक्त्र: शिव: साक्षाद्र ब्रहमत्या त्योपहति'' अर्थात एक मुखी रूद्राक्ष साक्षात शिव स्वरूप ही है और इसे धारण करने से यह ब्रह्राहत्या जैसे महापाप को दूर करता है ।

एक मुखी रूद्राक्ष के संबंध में कहा गया है कि एक मुखी रूद्राक्ष के जिसने दर्शन मात्र भी कर लिये उसने परब्रह्रा के दर्शन कर लिए । एक मुखी रूद्राक्ष को अद्वितीय परब्रह्रा, वृक्ष संभव ब्रह्रा तथा वृक्ष सम्भव महारत्न माना गया है । इसीलिए एक मुखी रूद्राक्ष को सर्वोत्त्म माना गया है । यह अत्यंत दुर्लभ रूद्राक्ष है एवं अनेक कार्यो में सफलता प्रदान करता है ।

उपयोग से लाभ :-
  • पापी व्यकित इस रूद्राक्ष को स्पर्श करने से सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं ।
  • इसे सिर के ऊपर रखकर स्नान करने से अनेक गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है ।
उपयोग मंत्र

ऊँ ह्रीं नम: । ऊँ नम: शिवाय ।

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