यह शिव पार्वती का स्वरूप है । गौरीशंकार रूद्राक्ष में दो रूद्राक्ष के दाने परस्पर जुडे होते है इसलिये इसे गौरीषंकर रूद्राक्ष कहा जाता है ।
उपयोग से लाभ :-
- घर , पूजाग्रह अथवा तिजोरी में मंगल कामना सिद्धि के लिये रखना लाभदायक है ।
- गले में धारण करने से सेतान सुख की प्रापित होती है ।
- गौरीशंकर रूद्राक्ष धारण करने से अभक्ष्य - भक्षण और परस्त्री गमन जैसे जघन्य अपराध भी नष्ट होते है ।
- इसे धारण करने से ग्रहस्थ जीवन में पति - पत्नी के मध्य प्रेम तथा विशेष सुख शांति प्राप्त होती है ।
- यह रूद्राक्ष शिवभकित के लिये अत्यन्त उपयोगी माना गया है भगवान शिव और माँ शकित इस रूद्राक्ष में निवास करते है ।
उपयोग मंत्र
ऊँ गौरीशंकराभ्यां नम: ।
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