दस रूद्राक्ष को साक्षत शिव का प्रसाद समझकर जो व्यकित मस्तक में धारण करके या शिखा स्थान में बांधकर रखते हैं उनको हजार अष्वमेघ - यज्ञ करने का फल को सौ वाजपेय - यज्ञ करने का फल और ग्रहण में दान करने से जो फल प्राप्त होता है वह फल इस रूद्राक्ष को विधिवत पूजन कर धारण करने से होता है । यह रूद्राक्ष वृशिचक लग्न वाले जातकों के लिये शुभ फल कारक होता ।
उपयोग से लाभ :-
- दस रूद्राक्ष को साक्षत शिव का प्रसाद समझकर जो व्यकित मस्तक में धारण करके या शिखा स्थान में बांधकर रखते हैं उनको हजार अष्वमेघ - यज्ञ करने का फल को सौ वाजपेय - यज्ञ करने का फल और ग्रहण में दान करने से जो फल प्राप्त होता है वह फल इस रूद्राक्ष को विधिवत पूजन कर धारण करने से होता है । यह रूद्राक्ष वृशिचक लग्न वाले जातकों के लिये शुभ फल कारक होता ।
- मस्तिष्क संबंधित विकारों से पिडि़त व्यकितयों तथा मसितषकीय कार्य करने वाले लोगो को शकित प्राप्त होती है ।
उपयोग मंत्र
ऊँ ह्रीं ह्रूं नम: । ऊँ सर्वेभ्यो रूद्रेभ्यो नम: ।
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